वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, २७ अद्वैत बोध शिविर
२६ दिसंबर २०१६
शिवपुरी, उत्तराखंड
प्रसंग:
भगवान कौन है?
क्या भगवान होते भी हैं?अगर होते हैं तो उनका पता कैसे चले?
भगवान को एक ख़ास आकृति, एक ख़ास पहचान क्यों दी जाती है?
अवतारों की चित्र और मूर्तियाँ क्या सोचकर बनायी जाती हैं?
भगवान अवतार क्यों लेते हैं?
क्या भगवान को भी सामाजिक रीति-रिवाज़ों का पालन करना पड़ता है?
क्यों कहा जाता है कि इन्सान ही भगवान है? क्या वाकई इंसान भगवान होता है?
क्या भगवान कण-कण में हैं?
संगीत: मिलिंद दाते